
ग्वालियर। लालटिपरा आदर्श गौशाला में ग्रीष्मकालीन विशेष शिविर के चौथे दिन का शुभारंभ श्रद्धेय स्वामी के दिव्य सानिध्य में ॐ उद्घोष के साथ हुआ। प्रातः कालीन योग सत्र का संचालन योगाचार्य ऋषिकेश वशिष्ठ द्वारा किया गया, जिसमें उन्होंने बच्चों को मानसिक एकाग्रता एवं स्फूर्ति हेतु विशेष योगाभ्यास कराए। इसके बाद ज्योति अहिरवार, ईश शर्मा एवं तुषार देवानी ने बच्चों के साथ विविध खेलों का अभ्यास कराते हुए उनकी शारीरिक सक्रियता को प्रोत्साहित किया। वहीं तमन्ना राठौर एवं माही रत्नाकर ने बच्चों को आर्म रेसलिंग के मूल गुर सिखाकर आत्मबल एवं आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रेरणादायक प्रयास किया।
कार्यक्रम लोकायुक्त पुलिस के सुपरिंटेंडेंट राजेश मिश्रा की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ, उन्होंने बच्चों को पुलिस व्यवस्था, नागरिक कर्तव्यों तथा विद्यालय में मर्यादा और सम्मान की भावना बनाए रखने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर मार्गदर्शन प्रदान किया। पर्यावरण नवाचारों के अंतर्गत नीतू जी द्वारा बच्चों को ईको ब्रिक्स (प्लास्टिक बोतलों में पन्नी भरना) तथा वेस्ट पेपर बैग निर्माण की विधियाँ सिखाई , जिससे अपशिष्ट से उपयोगी की भावना जागृत हुई। संदीप तायल ने रसोई व आसपास उपलब्ध पौधों नीम, तुलसी, गेंदे के माध्यम से प्राथमिक उपचार की जानकारी देकर बच्चों को आयुर्वेदिक जीवनशैली की ओर प्रेरित किया।
समापन सत्र में डॉ. मनमोहन (डायरेक्टर डीआरडीओ) ने बच्चों से संवाद कर उन्हें वैदिक विज्ञान व सतत अनुसंधान की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने पुत्र का जन्मदिन भी बच्चों के साथ मिलकर मनाया, जिससे वातावरण में उल्लास, अपनत्व और आत्मीयता का संचार हुआ।
शिविर में बच्चों ने जाना वैदिक विज्ञान, सेवा और सात्विक अनुसंधान
यहाँ गौशाला में श्रीकृष्णायन द्वारा आयोजित सांस्कृतिक पुनर्जागरण शिविर का शुभारंभ गुरुवार को उत्साहपूर्वक हुआ, जिसमें बच्चों ने वैदिक विज्ञान, योग, पारंपरिक खेल, संस्कार और सेवा से जुड़ी विविध शिक्षाएँ अनुभव कीं।
शिविर की शुरुआत एमएलबी कॉलेज के प्रोफेसर यूएस त्रिपाठी द्वारा की गई, जिन्होंने बच्चों को खो-खो जैसे पारंपरिक खेलों से जोड़ते हुए उनके शरीर में चुस्ती और सामूहिकता की भावना विकसित की। इसके बाद उन्होंने योगाभ्यास के माध्यम से बच्चों को एकाग्रता, मानसिक संतुलन और आत्मनियंत्रण के सहज उपाय सिखाए।
श्रीमती नीतू पल्लवी ने विज्ञान प्रयोगों के माध्यम से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और प्रयोगात्मक सोच को प्रोत्साहित किया। ज्वालामुखी विस्फोट मॉडल, सन डायल, और सात रंगों में वाइट लाइट का विघटन शिविर के प्रमुख आकर्षण रहे।
इसके बाद मीनाक्षी त्रिपाठी ने संवाद शैली में चारों वेदों की शिक्षाएं, सेवाभाव और संस्कारों की महत्ता को सरल और प्रेरक तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे बच्चों में संवेदनशीलता और अनुशासन की भावना जाग्रत हुई।
गौसेवा से जुड़ा भावनात्मक अनुभव शिविर का एक विशेष भाग रहा, जहाँ बच्चों ने कपिला बाड़े में गायों और बछड़ों को चारा खिलाया, उनके साथ समय बिताया और करुणा, सेवा व संवेदना जैसे जीवन मूल्यों को प्रत्यक्ष अनुभव किया।
शिविर में “ईको-सस्टेनेबिलिटी” और भारतीय परंपराओं पर रहा विशेष जोर
ग्रीष्मकालीन शिविर के दूसरे दिन सुबह 7 बजे शुरुआत प्राणायाम और योग सत्र से हुई। मानसिक शांति और ऊर्जा से परिपूर्ण होने के बाद रीड विद रिदम एंड रेस्ट विथ माइंडफुलनेस विषय पर अभिनव वर्कशॉप हुई।
कृष्णायन संस्था द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन शिविर के दूसरे दिन का मुख्य विषय “ईको-सस्टेनेबिलिटी” रहा, जिसमें पर्यावरणीय उत्तरदायित्व, संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग और भारतीय पारंपरिक ज्ञान की प्रासंगिकता को उजागर किया।
दिन की शुरुआत सुबह 7ः00 बजे प्राणायाम और योग सत्र से हुई, जिसका संचालन प्रीति गुप्ता ने किया। इस सत्र ने प्रतिभागियों को मानसिक शांति और ऊर्जा से परिपूर्ण वातावरण प्रदान किया। इसके बाद रीड विद रिदम एंड रेस्ट विथ माइंडफुलनेस विषय पर एक अभिनव वर्कशॉप आयोजित हुई, जिसमें बच्चों को ध्यान, एकाग्रता और आत्मचिंतन के महत्व से अवगत कराया गया। रामअवतार जी द्वारा लिया गया सत्र “जल का महत्व और ‘जीवित जल’ कैसे बनाएं” अत्यंत प्रेरणादायक रहा। इस सत्र में वैदिक परंपराओं और प्राकृतिक विधियों के माध्यम से जल को पुनर्जीवित करने की प्रक्रियाएं साझा की गईं।
इसके बाद रवि कुलश्रेष्ठ ने बांसुरी की मधुर धुनों से बच्चों को भावविभोर कर दिया। उन्होंने बताया कि संगीत, विशेषकर बांसुरी, छात्रों की एकाग्रता को बढ़ाने और मानसिक संतुलन बनाए रखने में अत्यंत सहायक है। आईएएस प्रमोद शुक्ला, उप निदेशक, शहरी विकास विभाग भी वहां पधारे । उन्होंने शिविर की सराहना करते हुए कहा कि “यह शिविर सेवा, शिक्षा और सनातन संस्कृति का सजीव संगम है, जो बच्चों को जीवन के मूल्यों और पर्यावरणीय चेतना से जोड़ता है।” यह शिविर न केवल ज्ञानवर्धक है, बल्कि बच्चों को जीवन में आत्मनिर्भर, अनुशासित और प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायक प्रयास है।
प्राकृति ज्ञान और वैदिक गतिविधियों में भाग ले रहे बच्चे
मुरार लाल तिपारा स्थित आदर्श गौशाला ग्वालियर में बीते दिनों प्रारंभ हुए सात दिवसीय वैदिक ग्रीष्मकालीन शिविर में बच्चों ने योग, गौपूजन, प्राकृतिक ज्ञान और वैदिक संस्कारों से जुड़ी अनेक गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस शिविर का आयोजन संत ऋषभदेवानंद महाराज के मार्गदर्शन में किया गया है, जहां न केवल विद्यार्थियों को ज्ञानवर्धक सत्रों से जोड़ा गया, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखा गया।
शिविर की शुरुआत योग प्रशिक्षक शिवकुमार पाहवा ने योगाभ्यास और ध्यान सत्र से हुई। इसके बाद, प्रकृति और पर्यावरण के विषय में गौरव परिहार ने बच्चों को गौशाला परिसर में स्थित विभिन्न वृक्षों, पक्षियों और सिटी फॉरेस्ट के बारे में जानकारी दी।
इसके बाद, बच्चों ने बछड़ा बाड़े में नन्हीं गायों के साथ समय बिताया। स्वास्थ्य परीक्षण के अंतर्गत संदीप तायल द्वारा नाड़ी परीक्षण करके बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की गई। शिविर के समापन पर सभी प्रतिभागियों को स्वादिष्ट और पौष्टिक सात्विक भोजन प्रदान किया गया, जिससे उनके अनुभव को और भी समृद्धि मिली।
बच्चों के साथ परिवार सहित सहभागिता
इस ग्रीष्मकालीन शिविर की एक विशेषता यह है कि इसमें बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी सहभागी हो सकते हैं, जिससे पूरे परिवार को एक साथ संस्कार, सेवा और जैविक जीवनशैली का अनुभव प्राप्त हो रहा है।