
ग्वालियर। नरवाई प्रबंधन की दिशा में ग्वालियर के कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा नई पहल की गई है। जिले में खेत में ही फसल अवशेष अर्थात नरवाई जलाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिये कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सूक्ष्म जैवकीय संभाग से पूसा बायोडिकम्पोजर मंगाकर किसानों की मौजूदगी में खेतों पर नरवाई प्रबंधन का काम शुरू किया गया है। इस क्रम में डबरा विकासखंड के ग्राम बड़कीसराय में कृषक बलविंदर सिंह के खेत पर बायोडिकम्पोजर से गेहूँ की नरवाई का प्रबंधन करके दिखाया गया।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र सिंह कुशवाह व डॉ. राजीव सिंह चौहान ने बताया कि बायोडिकम्पोजर के नए फोर्मूलेशन (डब्ल्यूपी) का सीधा घोल तैयार करके गेहूँ की नरवाई पर छिड़काव करके सफल नरवाई प्रबंधन किया जाता है। नरवाई प्रबंधन की यह पद्धति अत्यंत कारगर है।
नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र; जागरूकता कार्यशाला 16 मई को
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में जनभागीदारी और जागरूकता बढ़ाने की दिशा में 16 मई को एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं जनजागरूकता सत्र का आयोजन किया जा रहा है।
संभागीय आयुक्त कार्यालय के सभागार में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं जागरूकता सत्र सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक संभागीय आयुक्त मनोज खत्री की अध्यक्षता में आयोजित होगा। इस कार्यशाला में ग्वालियर-चंबल संभाग के सभी जिला कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत , संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन, संयुक्त संचालक उद्योग, संयुक्त संचालक कृषि, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा, अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग व अधीक्षण यंत्री विद्युत वितरण कंपनी के साथ ही नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य कर रहे विभागीय अधिकारी शामिल होंगे।