
मुंबई/भोपाल- ग्वालियर। अल्लू अर्जुन ने 'पुष्पा-2' में अपने काम से मास हीरो का कद ऊंचा कर दिया है। एक्शन सीन्स में उन्हें देखना तो दमदार है ही, मगर स्टिल सीन्स में अर्जुन की परफॉरमेंस अलग से हाईलाइट होती है। जहां वो बात कर रहे हैं, या केवल किसी की बात पर रियेक्ट कर रहे हैं, वहां उनके एक्सप्रेशन और ठसक बहुत ईमानदार लगती है। उनके बेहतरीन काम का एक सबूत ये भी है कि उनके क्लोज-अप शॉट्स फिल्म में बहुत हैं।
खड़ा हो जा पुष्पा,बैठकर तेरे पैरों में अकड़ आ जाती है,
जो मंत्री जी को बुरी लग सकती है…
पुष्पा:- "ये पैर पुष्पा का भार उठाते हैं, तो इतनी तो अकड़ होगी ही इन पैरों में।
पहली पुष्पा में तो कई जगह कुछ गलतियां महसूस की गई, लेकिन इस दूसरी पुष्पा में गजब की कसावट से लिखी पटकथा, शानदार डायलॉग, कमाल एडिटिंग और लाजवाब एक्टिंग है। यह फिल्म पूरा मनोरंजन देगी बशर्ते आपने पहली पुष्पा देखी हो और वो आपको अच्छी लगी हो।
भोपाल में एक दिन में लगभग 123 शो एक दिन में चल रहे हैं, और लगभग 80 प्रतिशत दर्शक हैं। वही ग्वालियर शहर में पहले दिन सभी शो हाउसफुल जाने के बाद शहर में दूसरे दिन शुक्रवार को पहली बार ऐसी सर्दी में सुबह 6 बजे से शो चलाने पड़ रहे हैं।
कसा-स्क्रीनप्ले, पलक झपकाने की भी जरूरत नहीं
अल्लू अर्जुन की भरपूर मेहनत और रश्मिका मंदाना इस बार कड़ी मेहनत करके आई हैं। अपनी सारी कमियों को दूर किया है। उनकी डबिंग भी बहुत अच्छी की गई है। पति-पत्नी की सुंदर केमेस्ट्री है। पति द्वारा पत्नी की इज्जत करना और पत्नी के लिए जीवन समर्पित करना सिखाया है, जो बहुत अच्छा लगा है।
यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सैलाब ला सकती है, क्योंकि फिल्म अपनी कमियों को दूर करती है साथ ही ग्राफिक्स पहले से ज्यादा शानदार है। फहाद फ़ासिल ने बेहतरीन एक्टिंग की है।
क्लाइमेक्स फाइट में अल्लू अर्जुन को देखना दमदार...
पुष्पा- 2: द रूल की ूलरूल की ूलक्लक्लाइमेक्स फाइट में अल्लू अर्जुन को देखना बहुत दमदार है, मगर इस सीन का आईडिया जिस तरह डेवलप किया है, वो तेलुगू सिनेमा का टिपिकल ओवर द टॉप ट्रीटमेंट लगता है। 'पुष्पा 1' में हाथ बंधे-मुंह ढंके पुष्पराज का फाइट सीन, इस फिल्म के फैन्स को जरूर याद होगा। इसे जिस तरह तैयार किया था, वो यकीन करने लायक था। मगर 'पुष्पा 2' की क्लाइमेक्स फाइट का डिजाईन गड़बड़ है। फिर भी अल्लू अर्जुन ने पूरी फाइट को ऐसा बना दिया है कि वो जो कर रहे हैं, वो देखने में आपका मन लगा रहता है।
कुल मिलाकर दूसरा पार्ट पहले पार्ट से बेहतर है। थिएटर की भीड़ सुकून देती है, डांस बहुत अच्छे हैं, डायलॉग तालियों की आवाज से भरे हैं, हालांकि गानों में दम नहीं है। यदि आपने पुष्पा, कन्तारा, kgf जैसी फिल्म हजम कर जाते हैं तो ये फिल्म आपके साढ़े तीन घंटे बेहतर बना सकती है।
पुष्पराज की सरकार
'पुष्पा 2' का प्लॉट ये है कि पहली फिल्म के अंत में, लाल चंदन की स्मगलिंग करने वाले सिंडिकेट का सर्वेसर्वा अब पुष्पराज (अल्लू अर्जुन) बन चुका है। फिल्म की शुरुआत पुष्पराज के इंटरनेशनल सपने से होती है। ताबड़तोड़ फाइट करने हीरो की एंट्री से फिल्म शुरू होती है, मगर कुछ मिनटों में ही वापस पुष्पराज के घर पर लौट आती है। और फिर इंटरनेशनल सपने की वजह खुलनी शुरू होती है।है।