
रोल मॉडल बनी प्रशासन की पहल: महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों के लिये इस संबंध में एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी की है, आश्रय गृहों में निवासरत बिछुड़े बच्चों के आधारकार्ड बनाने के निर्देश दिए हैं
ग्वालियर। अपनों से बिछुड़े बच्चों व लोगों को उनके माता-पिता एवं परिजनों से मिलाने में ग्वालियर जिले में हुआ नवाचार महती भूमिका निभा रहा है। कलेक्टर रुचिका चौहान ने जिले के आश्रय गृहों में रह रहे बच्चों व अन्य लोगों के आधारकार्ड बनाने के निर्देश दिए हैं। आधारकार्ड बनाने की इस पहल ने बिछुड़े बच्चों के घर का पता व परिजनों को ढूँढने में बड़ी मदद की है। डबरा स्थित “अपना घर आश्रम” सहित जिले के अन्य आश्रय गृहों में रह रहे कई लोगों को इस पहल के माध्यम से फिर से अपनों के बीच पहुँचाने में मदद मिली है।
ग्वालियर जिले की इस पहल से प्रेरित होकर राज्य शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में आश्रय गृहों में निवासरत बिछुड़े बच्चों के आधारकार्ड बनाने के निर्देश दिए हैं। विभाग द्वारा सभी जिलों के लिये इस संबंध में एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी की है।
कलेक्टर रुचिका चौहान के निर्देश पर जब अपना घर आश्रम सहित जिले के अन्य आश्रय गृहों में रह रहे बच्चों व अन्य लोगों के नए आधारकार्ड बनाने के लिये बायोमैट्रिक अर्थात अंगुलियों के निशान लिए गए तब कुछ लोगों के ऑनलाइन आधार आवेदन निरस्त हो गए। कारण बताया गया कि इनका आधारकार्ड पहले से ही बना है। पुराने आधार नम्बर के माध्यम से इन लोगों के घर व परिजनों का पता मिल गया। ऐसे लोगों व बच्चों के माता-पिता एवं परिजनों को बुलाया गया। इस प्रकार आधारकार्ड ने बिछुड़े हुए लोगों का पुनर्मिलन करा दिया।
कलेक्टर चौहान ने जिले के सभी आश्रय गृहों में निवासरत शत-प्रतिशत रहवासियों के आधार पंजीयन कराने के निर्देश दिए, जिससे यदि किसी का पहले से आधार नम्बर हो तो उनके घर का पता लगाया जा सके। साथ ही रहवासियों को आधारकार्ड के आधार पर सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाया जा सके।