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मर्सी होम का कायाकल्प ; प्रशासन की पहल पर मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों की मदद के लिये बढ़ रहे हैं हाथ, राम आस्था मिशन संस्था कायाकल्प में सहयोग देने आगे आई है

कलेक्टर ने "गजराराजा अर्पण आश्रम" मर्सी होम का समाज के सहयोग से कायाकल्प करने की पहल की है, अब यहाँ के मानसिक दिव्यांग बच्चों को खुशहाल जीवन के लिए अच्छा माहौल मिलेगा

ग्वालियर। शासन व प्रशासन का दायित्व केवल अधोसंरचनागत कार्यों तक ही सीमित न होकर सामाजिक सरोकारों से जुड़ना व रचनात्मक कार्य कराना भी है। इसी भाव के साथ उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के प्रशासनिक न्यायाधिपति आनंद पाठक की प्रेरणा से कलेक्टर रुचिका चौहान ने गजराराजा अर्पण आश्रम अर्थात मर्सी होम का समाज के सहयोग से कायाकल्प करने की पहल की है। मर्सी होम के कायाकल्प के पीछे उद्देश्य यह है कि यहाँ निवासरत मानसिक दिव्यांग जरूरतमंद बच्चों का जीवन स्तर ऊँचा उठे और उन्हें खुशहाल  जीवन जीने के लिए अच्छा माहौल मिले। 

जिला प्रशासन का प्रयास है कि मर्सी होम का परिसर ऐसा रूप ले जिससे यहाँ निवासरत मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को साफ-सुथरा, आकर्षक व प्रेरणादायी वातावरण मिले। शहर में स्थित अलापुर पहाड़ी को वृहद वृक्षारोपण के जरिए “हरि पर्वत” के रूप में विकसित करने में योगदान दे रही राम आस्था मिशन संस्था मर्सी होम के कायाकल्प में सहयोग देने के लिये आगे आई है। मर्सी होम परिसर की दीवारों का रंग-रोगन कर व आकर्षक एवं प्रेरणादायी पेंटिंग कर सजाया व सँवारा जा रहा है। दीवारों पर इस प्रकार की पेंटिंग बनाई जा रही हैं, जिससे मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों में आत्मविश्वास की भावना जागृत हो। 

उच्च न्यायालय द्वारा बाल देखरेख संस्थाओं के बच्चों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के संबंध में दिए आदेश के पालन में समाज के सहयोग से मर्सी होम का सौंदर्यीकरण व कायाकल्प हो रहा है। कलेक्टर रुचिका चौहान इस काम पर स्वयं नजर रख रही हैं। 

यहाँ रहने वाले बच्चों को यूनीफॉर्म व परिधान भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कलेक्टर चौहान ने बताया कि मर्सी होम के रहवासी बच्चे अच्छे स्कूलों की तर्ज पर एक समान यूनीफॉर्म में रहें। इस उद्देश्य से समाजसेवियों के सहयोग से यहाँ के बच्चों को कपड़े उपलब्ध कराने का काम हो रहा है। बहुत से सेवाभावी नागरिक स्वेच्छा से इस काम में सहयोग के लिये आगे आए हैं। 

बाल देखरेख संस्थाओं में रह रहे बच्चों को अवसाद की स्थिति से निकालने के तथा उन्हें यह महसूस करवाने के लिए समाज ने उन्हें अलग-थलग नहीं किया है। आप सब भी समाज की मुख्य धारा में समाहित होने के लिए हर तरह से काबिल हैं। इस उद्देश्य से ग्वालियर जिले में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। कलेक्टर ने ऐसे बच्चों की आवश्यक सहायता तथा सहयोग के लिए समाज के जिम्मेदार और साधन सम्पन्न व्यक्तियों का सहयोग लेने के लिए विभागीय अधिकारियों से कहा है। समाज के प्रभावशाली व्यक्तियों में प्रशासनिक अधिकारी, चार्टड अकाउंटेंट, डॉक्टर, वकील व पेशेवर व्यवसायी हो सकते हैं। समाज के प्रभावशाली व्यक्तियों को  बाल देखरेख संस्थाओं के बच्चों की जरूरतों व उनके विकास में सहयोग करने की जिम्मेदारी दिलाने के प्रयास प्रमुखता से हो रहे हैं।