
भोपाल। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि सम्राट विक्रमादित्य ने अपने शासन से उस काल को और भारत को गौरवान्वित किया। हमारी सांस्कृतिक चेतना के विकास में सम्राट विक्रमादित्य का अतुल्य योगदान रहा। वे शासकों के लिए आज भी एक आदर्श हैं। वे बड़े प्रजा वत्सल थे। उन्होंने शासकों को सिखाया कि एक राजा को किस तरह अपनी प्रजा की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने अपने शासनकाल में कला संस्कृति, साहित्य और विज्ञान के संरक्षण और संवर्धन से भारत राष्ट्र को समृद्ध किया। उप राष्ट्रपति धनखड़ शनिवार शाम को दिल्ली के लाल किला परिसर स्थित माधादास पार्क में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उप राष्ट्रपति एवं अन्य अतिथियों ने इस तीन दिवसीय सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन आयोजन का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन 14 अप्रैल तक लगातार जारी रहेगा। महामंचन की शुरुआत राष्ट्र गान से हुई।
उप राष्ट्रपति धनखड़़ ने कहा कि हमारी संस्कृति एक मिसाल है कि भारतीय जीवन मूल्यों के साथ जीवन कितना सहज और सरल हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है। सम्राट विक्रमादित्य ने अपने शासनकाल में राष्ट्र के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने कहा कि भाषा हमारी सांस्कृतिक चेतना की धुरी है। हमें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए। हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी भारत की सांस्कृतिक चेतना के प्रसार और भारतीय ज्ञान परम्पराओं पर आधारित शिक्षा पर विशेष जोर दिया है।
उप राष्ट्रपति धनखड़ ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिल्ली में किए जा रहे इस महा आयोजन के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को बधाई और साधुवाद देते हुए कहा कि केंद्र एवं दिल्ली सरकार के साथ मिलकर यह सिलसिला आगे भी जारी रहना चाहिए। हमें हमारी संस्कृति के संवर्धन के लिए हमेशा प्रयास करना चाहिए और उन्हें खुशी है कि मध्यप्रदेश में यह कार्य बड़ी लगन और कुशलता से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजे रखना है। हमें इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने के लिये प्रयास करना चाहिए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सम्राट वीर विक्रमादित्य के शासनकाल को भारतीय इतिहास का गौरवशाली काल बताते हुए कहा कि हमारी संस्कृति को सहेजने और संवारने में विक्रमादित्य का अमिट योगदान है। उन्होंने सिर्फ़ शासन को सुशासन व्यवस्था में बदला। वे अदम्य साहस, धीरता, वीरता और संवेदनशीलता के प्रतीक थे। उन्होंने अपनी प्रजा को कर्जमुक्त किया। वे अनेकानेक गुणों से युक्त थे। गरीबों, लाचारों, वंचितों को उनका हक दिलाने की प्रेरणा हमें सम्राट विक्रमादित्य से ही मिलती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य हमारे लिए सदैव स्तुत्य रहेंगे, उन्होंने हमें जनता की सेवा की सीख दी है। वे अपनी प्रजा का सुख-दुख जानने के लिए भेष बदलकर प्रजा के बीच जाते थे। उनकी यह संवेदनशीलता बताती है कि प्रजा के सुख में ही शासक का सुख है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी संस्कृति सदैव समृद्ध रही है और आगे भी रहेगी। हमारी संस्कृति मां गंगा की अविरल धारा की तरह सदैव अक्षुण्ण रहेगी। हमें अपने अतीत पर गर्व है और यह भावना हमें भावी पीढ़ी तक भी पहुंचानी है। देश की राजधानी दिल्ली में विक्रमादित्य महानाट्य के महामंचन के मूल में हमारी यही मंशा है। उन्होंने सभी से इस आयोजन का लाभ उठाकर अपने इतिहास के गौरवशाली काल को देखने, समझने और आनंद लेने की अपील की।