
ग्वालियर। बाँधों व जलाशयों से जल निकासी की सूचना एवं चेतावनी प्रणाली पुख्ता हो। साथ ही जल संसाधन विभाग के सभी अधिकारी जिला प्रशासन व पुलिस के साथ सतत एवं बेहतर कम्युनिकेशन बनाए रखें, जिससे पानी निकासी संबंधी सूचनायें जल्द से जल्द जमीनी स्तर तक पहुँच सकें। इसमें कोई ढ़िलाई न हो। यह निर्देश संभागीय आयुक्त मनोज खत्री ने ग्वालियर-चंबल संभाग की सिंचाई परियोजनाओं से डाउन स्ट्रीम में जल निकासी की सूचना एवं चेतावनी प्रणाली तंत्र तैयार करने के उद्देश्य से आयोजित हुई संभाग स्तरीय निगरानी समिति की बैठक में दिए।
संभाग आयुक्त खत्री ने दोनों संभागों के जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षकों से भी कहा कि वे बरसात को ध्यान में रखकर बनाई गई आपदा प्रबंधन कार्ययोजना के आधार पर जरूरत पड़ने पर तत्काल मदद पहुँचाई जा सके। इसके लिये अगले 10 दिन के भीतर अभ्यास कर लें। कार्ययोजना में शामिल कॉन्टेक्ट नम्बर पर अभ्यास के दौरान अवश्य संपर्क किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि नदियों व जलाशयों के किनारे होने वाले धार्मिक आयोजनों व मेलों में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें। जल स्तर बढ़ने पर श्रद्धालुओं को सचेत करने की प्रणाली मजबूत हो। साथ ही सभी रक्षोपाय भी किए जाएं।
गुरुवार को संभाग आयुक्त कार्यालय के सभागार में हुई बैठक में पुलिस महानिरीक्षक अरविंद सक्सेना, ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह व मुख्य अभियंता जल संसाधन एसके वर्मा सहित जल संसाधन विभाग व होमगार्ड के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। ग्वालियर- चंबल संभाग के अन्य जिलों के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक व जल संसाधन विभाग के अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक में शामिल हुए।
संभागीय आयुक्त खत्री ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस बात का स्पष्ट आंकलन हो कि कितना पानी छोड़ने से कौन-कौन से क्षेत्र किस स्तर तक प्रभावित होंगे, जिससे राहत व बचाव के पहले से ही पुख्ता इंतजाम किए जा सकें। उन्होंने कहा कि कल्वर्ट व पुल-पुलियों से पानी छोड़ने की जानकारी देने के लिये अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। साथ ही जल संसाधन विभाग के दोनों संभागों के सभी जिलों के अधिकारी अपने जिले के बाँधों व जलाशयों के कैचमेंट एरिया पर बरसात के दौरान विशेष निगाह रखें और इसकी जानकारी प्रशासन व पुलिस से साझा करते रहें।
पुलिस महानिरीक्षक अरविंद सक्सेना ने कहा कि जल भराव से संबंधित कोई भी प्वॉइंट मिले, उस पर तत्काल कार्रवाई हो। साथ ही बरसात के दौरान जिन रपटों व पुल-पुलियों के ऊपर से पानी बहता है वहाँ से लोगों का आवागमन न हो। इसके लिये पुख्ता व्यवस्था की जाए।
ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने ग्वालियर जिले में बरसात के दौरान जल भराव व संभावित बाढ़ को ध्यान में रखकर बनाई गई आपदा प्रबंधन कार्ययोजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले अनुभवों के आधार पर हरसी व भितरवार क्षेत्र के 23 गाँवों सहित जिले के अन्य गाँवो को चिन्हित कर लिया है। यहाँ पर विशेष दल तैनात किए जायेंगे। उन्होंने कहा जिले का बाढ़ नियंत्रण कक्ष भी जल्द ही शुरू हो जायेगा। ग्वालियर – चंबल संभाग के अन्य जिलों के कलेक्टर ने भी अपने-अपने जिले की आपदा प्रबंधन कार्ययोजना की जानकारी दी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने कहा कि जिन पुल- पुलियों के ऊपर से पानी बहने की नौबत आती है, ऐसे सभी पुल-पुलियों पर संकेतक अवश्य लगाए जाएं। उन्होंने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से कहा कि डाउन स्ट्रीम में पानी छोड़े जाने पर जिन- जिन विभाग की सड़कों, रपटों व पुल- पुलियों के ऊपर अत्यधिक जल भराव होता है उनकी सूची उपलब्ध कराएं, जिससे संबंधित विभागों की मदद से वहां पर सुरक्षा उपाय कराए जा सकें।
मुख्य अभियंता जल संसाधन एसके वर्मा ने ग्वालियर व चंबल संभाग की वृहद, मध्यम व लघु सिंचाई परियोजनाओं एवं जलाशयों की डाउन स्ट्रीम में जल निकासी से प्रभावित होने वाले गाँवों की जिलेवार सूची की जानकारी दी। साथ ही कहा कि जल संसाधन विभाग के अंतर्गत जिले में कंट्रोल रूम स्थापित कर दिए गए हैं। इसके अलावा अधिकारियों के वॉटस्एप ग्रुप बनाए जाकर जानकारियां साझा की जा रही हैं।
राजस्व व पुलिस के मैदानी अधिकारी संयुक्त भ्रमण करें
संभागीय आयुक्त मनोज खत्री ने सभी जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षकों से कहा कि बरसात के दौरान जल निकासी से प्रभावित होने वाले गाँवों का संयुक्त भ्रमण कराएं। उन्होंने कहा संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार व नायब तहसीलदार, थाना प्रभारी एवं अधीनस्थ पुलिस अधिकारी संयुक्त भ्रमण कर आपदा प्रबंधन कार्ययोजना के अनुसार पहले से ही अभ्यास कर लें, जिससे जरूरत के समय तत्काल प्रभावी ढंग से राहत व बचाव कार्य चलाए जा सकें।
जल संरचनाओं के संरक्षण पर दिया विशेष जोर
संभागीय आयुक्त ने जल संरचनाओं के संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि तकनीकी पहलू का ध्यान दिए बगैर किसी भी जलाशय या जल संरचना में सुधार कार्य न कराए जाएं। यदि अधिकारियों की लापरवाही की वजह से कोई भी जल संरचना क्षतिग्रस्त हुई तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।
प्रभावित होने वाले गाँवों की सूची भी साझा की गई
अतिवृष्टि एवं सिंचाई परियोजनाओं की जल निकासी से प्रभावित होने वाले गाँवों की सूची भी बैठक में साझा की गई। बैठक में जानकारी दी गई कि मड़ीखेड़ा एवं मोहिनी पिकअप वियर से ग्वालियर जिले के 22, दतिया के 37, शिवपुरी के 19 व भिण्ड के 41 गाँवों के प्रभावित होने की संभावना रहती है। इसी तरह ग्वालियर जिले में हरसी जलाशय से 23, रमौआ, पहसारी व ककैटो से 4 – 4 गाँव प्रभावित होने की संभावना रहती है। कोटा बैराज से श्योपुर जिले के 28, मुरैना के 68 व भिण्ड जिले के 23 गाँव प्रभावित होते हैं। इसके अलावा अन्य बांधों व सिंचाई परियोजनाओं से जिलेवार प्रभावित होने वाले अन्य गाँवों की जानकारी भी बैठक में दी गई।