ग्वालियर। आदर्श गौशाला लालटिपारा मुरार में चल रहे श्रीकृष्णायन सांस्कृतिक अभ्युदय ग्रीष्मकालीन शिविर के छटवें दिन बच्चों को प्रकृति का महत्व समझाया गया। बच्चों को गौशाला में बने सघन वन में गौरेया के घोसलें दिखाएं गए और उन्हें बताया गया कि किस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों से कम लागत में बेहतरीन और प्रकृति के अनुकूल घर बनाए जा सकते हैं। इसके बाद बच्चों ने शिविर में घरेलू सामग्री से गौरैया के लिए घोंसला बनाना भी सीखा।
शिविर का शुभारंभ प्रात: काल बेला में ॐ उच्चारण एवं मंत्रोच्चार से हुआ। इसके बाद योग सत्र में योगाचार्य ऋषिकेश वशिष्ठ ने बच्चों को अलोम-विलोम, हास्य आसन और नमस्कार आसन करना सिखाया। इसके बाद श्रीमती साधना कोठारी एवं राजीव कोठारी ने बच्चों को गौरैया चिड़िया के जीवन के बारे में बताया। इसके साथ ही उन्होंने बच्चों को समझाया कि चाहे गौरैया हो या मानव घर वही टिकाऊ और शांतिदायक होता है, जो प्राकृतिक संसाधनों से निर्मित हो और पर्यावरण से समरस हो। उन्होंने बच्चों को घरेलू सामग्री से गौरैया के लिए घोंसला बनाना सिखाया ।
एसआरएफ कंपनी के प्रतिनिधि बनवारी श्रीवास्तव ने सभी विशिष्ट अतिथियों को स्वदेशी उपहार भेंट कर सम्मानित किया। इसके बाद बच्चों ने सात्विक प्रसादी ग्रहण की।की।