युवा करेंगे “डिजिटल क्रॉप सर्वे”; पूरी पारदर्शिता और अत्याधुनिक तकनीक से होगी फसल गिरदावरी कलेक्टर ने नई तकनीक से खरीफ फसलों का सर्वे कराने के निर्देश दिये, मप्र भू-अभिलेख नियमावली अनुसार साल में तीन बार फसल गिरदावरी का कार्य किया जाता है
08 Jul, 2024 08:05 PM
ग्वालियर। फसल गिरदावरी में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने “डिजिटल क्रॉप सर्वे” कराने का निर्णय लिया है। मौजूदा खरीफ मौसम की फसलों की गिरदावरी इसी आधुनिक तकनीक से की जायेगी। स्थानीय युवा मोबाइल एप के जरिए डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण का कार्य करेंगे। कलेक्टर रुचिका चौहान ने आयुक्त भू-अभिलेख द्वारा खरीफ फसलों के “डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण” के संबंध में जारी किए गए दिशा-निर्देशों के तहत जिले में स्थानीय युवाओं से सर्वेक्षण कराने के निर्देश राजस्व अधिकारियों को दिए हैं।
ज्ञात हो मध्यप्रदेश भू-अभिलेख नियमावली के अनुसार साल में तीन बार (खरीफ, रबी व जायद) फसल गिरदावरी का कार्य किया जाता है। सारा एप के माध्यम से यह गिरदावरी की जाती है। फसल गिरदावरी कार्य में पारदर्शिता लाने के लिये भारत सरकार ने “डिजिटल क्रॉप सर्वे” का कार्य शुरू किया है। हर मौसम में लगभग 45 दिवस की समयावधि में फसल गिरदावरी की जाती है। बोई गई फसल का फोटो खींचकर “डिजिटल क्रॉप सर्वे” तकनीक से फसल का सर्वे किया जायेगा।
एमपी किसान एप के जरिए होगा डिजिटल क्रॉप सर्वे का काम
“डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण” का काम एमपी किसान एप के माध्यम से किया जायेगा। यह एप प्ले स्टोर से एंड्रॉयड मोबाइल फोन पर आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। स्थानीय युवा खेत में जाकर जियो फेस तकनीक से फसल का फोटो लेंगे और इस एप पर अपलोड करेंगे। स्थानीय युवा 45 दिन में सर्वे का कार्य करेंगे।
निकटतम ग्राम पंचायत के युवा से कराया जायेगा सर्वेक्षण
डिजिटल क्राप सर्वेक्षण करने के लिए स्थानीय युवक को निकटतम ग्राम पंचायत का निवासी होना चाहिए। उसके पास एंड्राइड वर्जन 6 प्लस वाला स्मार्ट फोन होना चाहिए। साथ ही इंटरनेट की सुविधा होना भी अनिवार्य है। सर्वे के लिए चिन्हित स्थानीय युवा की आयु 18 से 40 वर्ष एवं वह कक्षा 8वीं उतीर्ण होना चाहिए। सर्वेक्षण के लिए युवाओं के चयन में महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेगी। चयनित युवाओं को राजस्व निरीक्षक वृत स्तर पर मास्टर ट्रेनर्स द्वारा प्रशिक्षित कराया जायेगा। सर्वेक्षण कार्य के लिए स्थानीय युवा सर्वे कार्य के लिये अपना पंजीयन MPBHULEKH पोर्टल पर करा सकेंगे। स्थानीय युवा को सर्वेक्षण के एवज में प्रति सर्वे नम्बर प्रथम फसल के लिए 8 रूपए व प्रत्येक अतिरिक्त दर्ज फसल के लिये 2 रूपए दिए जायेंगे। प्रति सर्वे नम्बर अधिकतम 14 रूपए के मान से राशि देय होगी।
तहसीलदार व पटवारी करेंगे सत्यापन
डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण में मानव एवं आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। ऐप से लिए गए फोटो से फसल की पहचान की जाएगी। जिसका सत्यापन तहसीलदार एवं पटवारी करेंगे। सर्वेक्षण करने वाले युवा द्वारा एप पर अपलोड की गई जानकारी तथा सैटेलाइट इमेज से प्राप्त जानकारी का सत्यापन पटवारी (सुपरवाइजर) करेंगे। यदि अपलोड की गई जानकारी से सुपरवाइजर के असहमत होने पर पुनरावलोकन एवं सर्वेक्षण के लिए डाटा स्थानीय युवा सर्वेयर को भेजा जायेगा। जांच अधिकारी द्वारा 20 प्रतिशत ग्रामों के खसरे की जांच की जायेगी। वैरीफायर अर्थात तहसीलदार द्वारा हर ग्राम के एक प्रतिशत विसंगति खसरों का सत्यापन करेंगे।
असहमत होने पर कृषकगण दर्ज करा सकेंगे दावा-आपत्ति
सर्वे से असहमत होने पर किसान भाई अपनी दावा-आपत्ति ऑनलाइन “सारा एप” के माध्यम से प्रस्तुत कर सकेंगे। इनका निराकरण पार्सल लेवल जियो फेस के माध्यम से खेत की फोटो अपलोड कर किया जाएगा। डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण तकनीक के उपयोग से फसल सर्वेक्षण कार्य में पारदर्शिता तथा गुणवत्तापूर्ण गिरदावरी की जा सकेगी।
डिजिटल क्रॉप सर्वे के लिए समय-सारिणी निर्धारित
सर्वेयर (स्थानीय युवा) के पंजीयन का काम 10 जुलाई तक किया जायेगा। समस्त प्रशिक्षण 25 जुलाई तक कराए जायेंगे। किसान गिरदावरी के लिए एक अगस्त से 15 सितम्बर तक का समय निर्धारित किया है। सर्वेयर द्वारा क्रॉप सर्वे का काम भी इसी अवधि में किया जायेगा। सुपरवाइजर द्वारा सत्यापन के लिए 20 सितम्बर तक का समय निर्धारित किया है। किसान अपनी दावे-आपत्तियां 25 सितम्बर तक दर्ज करा सकेंगे। दावे-आपत्तियों का निराकरण 30 सितम्बर तक किया जायेगा। वैरीफायर द्वारा अनुमोदन के लिये 10 सितम्बर से 30 सितम्बर तक की तिथि निर्धारित की गई है। डिजिटल क्रॉप सर्वे जाँच कार्य 10 सितम्बर से 28 सितम्बर तक होगा। जाँच कार्य के अंतिम अनुमोदन के लिये 30 सितम्बर अंतिम तिथि निर्धारित की गई है।
युवा करेंगे “डिजिटल क्रॉप सर्वे”; पूरी पारदर्शिता और अत्याधुनिक तकनीक से होगी फसल गिरदावरी कलेक्टर ने नई तकनीक से खरीफ फसलों का सर्वे कराने के निर्देश दिये, मप्र भू-अभिलेख नियमावली अनुसार साल में तीन बार फसल गिरदावरी का कार्य किया जाता है
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