
ग्वालियर की दो बेटियों ने अपने नवाचार से न केवल स्वयं को स्वावलम्बी बनाया, बल्कि कई ई-रिक्शा चालकों को भी अतिरिक्त आय करने का अवसर प्रदान किया। दोनों बेटियों ने संयुक्त रूप से स्टार्टअप की शुरूआत कर महिला सशक्तिकरण का सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया है।
सांची पांडे और अंशिका शर्मा द्वारा कॉलेज के दौरान शुरू किया गया स्टार्टअप “टायरो एड्स” आज ग्वालियर की सड़कों पर विज्ञापन की परिभाषा को नया रूप दे रहा है। यह नवाचार स्टार्टअप ई-रिक्शा को मोबाइल डिजिटल बिलबोर्ड में बदलकर ब्रांड्स को प्रभावी वीडियो विज्ञापन का मंच प्रदान कर रहा है, वहीं ई-रिक्शा चालकों के लिए अतिरिक्त आमदनी का साधन भी बन रहा है। सांची और अंशिका अब ग्वालियर ही नहीं समूचे मध्यप्रदेश व देश का नाम दुनिया में गौरवान्वित कर रही हैं। इन बेटियो का यह प्रयास महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त उदाहरण है। इनकी प्रतिभा देखकर यह तय हो जाता है कि अगर सच्चे मन से और पूरी लगन से किसी लक्ष्य को निर्धारित किया जाए तो उसे पाना असंभव नहीं होता है।
सांची और अंशिका के इस अभिनव विचार की शुरुआत ग्वालियर स्मार्ट सिटी इनक्यूबेशन सेंटर द्वारा आयोजित हैकथॉन में हुई थी। इस पहल का उद्घाटन 8 मार्च 2025 को नगर निगम आयुक्त एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी आईएएस संघ प्रिय द्वारा किया गया था। सांची पांडे जो कंप्यूटर साइंस से बीटेक के तीसरे वर्ष में हैं, और अंशिका शर्मा जो मैकेनिकल से बीटेक के दूसरे वर्ष में हैं, उन्होंने उच्च शिक्षा के बाद किसी नौकरी का इंतज़ार न करते हुए खुद का स्टार्टअप शुरू करने का निर्णय लिया। उनका उद्देश्य था, ऐसा कुछ करना जो समाज में बदलाव लाए और साथ ही स्थानीय लोगों को भी रोज़गार से जोड़ सके। आज टायरो एड्स से 15 से अधिक ई-रिक्शा चालक जुड़ चुके हैं, जिन्हें हर महीने अतिरिक्त आमदनी हो रही है। यह स्टार्टअप न केवल इन छात्राओं के आत्मनिर्भर बनने की कहानी है, बल्कि यह बताता है कि अगर सही प्लेटफॉर्म, मार्गदर्शन और संसाधन मिलें तो छात्राएं भी नेतृत्व की भूमिका निभा सकती हैं।
ग्वालियर स्मार्ट सिटी इनक्यूबेशन सेंटर के सहयोग से सांची और अंशिका ने न केवल अपने स्टार्टअप से सफल व्यवसाय को स्थापित किया है, बल्कि उन हजारों बेटियों के लिये प्रेरणा है जो सपने देखती हैं, संघर्ष करती हैं और अपने जुनून से भारत का नाम रोशन करना चाहती हैं। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की स्टार्टअप इंडिया योजना युवाओ को अपने पेरों पर खडा करने वाली साबित हुई है, और इस योजना के शुरु होने के बाद से युवा अपने आइडियाज से स्टार्टअप की शुरुआत कर न केवल स्वयं को आत्मनिर्भर बना रहे है बल्कि अपने स्टार्टअप से अन्य लोगो को भी आत्मनिर्भर बनने की राह दिखा रहे है।
इसी उद्देश्य को और मजबूत करने के लिए ग्वालियर स्मार्ट सिटी इनक्यूबेशन सेंटर द्वारा यशस्विनी वुमन एंटरप्रेन्योरशिप सेल की भी शुरुआत की है, जो महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने और बढ़ाने के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करता है। यशस्विनी के माध्यम से महिलाओं को मुफ्त वेबसाइट, लोगो डिजाइन, AWS क्रेडिट्स, मार्केटिंग और लीगल सपोर्ट जैसी सुविधाएं दी जाती हैं, ताकि वे अपने विचारों को व्यवसाय में बदल सकें। टायरो एड्स जैसी कहानियां यशस्विनी मुहिम की प्रेरक मिसाल बन रही हैं, जो यह दिखाती हैं कि सही सहयोग और दिशा से महिलाएं न केवल अपने सपनों को साकार कर सकती हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार और प्रेरणा दे सकती हैं।