ग्वालियर। 57 साल बाद कांग्रेस का मेयर बनने के बाद अब परिषद पर कब्जा करना भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए जरुरी हो गया है। यही कारण है कि जोर अजमाइश आखिरी दौर में है और पार्षदों की बाड़ाबंदी भी तेज हो गई है। 34 पार्षदों को लेकर जहां भाजपा दिल्ली के लिए निकली थी वहीं बुधवार शाम को कांग्रेस भी अपने सदस्यों के साथ तीर्थ दर्शन यात्रा पर निकली है। भाजपा को यह डर सता रहा है कि सदस्य संख्या पर्याप्त होने के बाद भी कोई सदस्य यदि लालच और विधायक सतीश सिकरवार के प्रभाव में विभीषण बनकर क्रॉस वोटिंग कर पूरा खेल ही न बिगाड़ दे।
इसीलिए भाजपा पूरे अलर्ट मोड पर है और मन्त्रियो से लेकर सांसद एव् केंद्रीय मंत्री सिंधिया तक रेवाड़ी में पार्षदों से वन टू वन चर्चा कर भरोसे में ले रहे है। एक ओर जहा भाजपा पार्षदों को वरिष्ठ नेता विश्वास में लेने कस्मे खिला रहे है वही उन्हें भविष्य के सुनहरे सपने भी दिखाए जा रहे है। भाजपा में संगठन से लेकर वरिष्ठ नेता इस बात को लेकर भी चिंतित है कि टिकट के समय नए भाजपाई और भाजपा इन दो गुटों की खींचतान का हर्ष महापौर सीट गवाने के रूप में सामने आया है। जहां केंद्रीय मंत्री सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के बीच सामंजस्य बिठाने के चक्कर में गुटबाजी खुलकर सामने आई थी। इसी डैमेज कंट्रोल को मैनेज करने अब भाजपा किसी भी तरह की रिस्क की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है। इसी रणनीति के तहत भाजपा ने अपने पार्षदों को वरिष्ठ नेताओ के संग सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है।
नगर निगम ग्वालियर की परिषद किसकी बनेगी और सभापति कौन होगा यह 5 अगस्त को पता चल जाएगा। पर उससे पहले भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों में घमासान मचा है। एक-दूसरे के पार्षदों को लालच और ऑफर का दौर जारी है। नगर निगम में 57 साल बाद कांग्रेस के महापौर के रूप में शोभा सिकरवार के चुने जाने के बाद अब सभापति के पद को लेकर भाजपा कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है।
सभापति के लिए भाजपा का पलड़ा भारी
ग्वालियर नगर निगम में 66 में से भाजपा के 34 पार्षद जीते हैं जबकि एक निर्दलीय का भी उन्हें समर्थन है जबकि कांग्रेस और उसके समर्थकों की संख्या 31 बताई जा रही है। ऐसे में सभापति के पद पर भाजपा के पार्षद का चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है फिर भी आपसी फूट और खरीद-फरोख्त के चलते दोनों ही दल डरे हुए हैं इसीलिए वे अपने पार्षदों की बाड़ाबंदी कर रहे हैं, जिससे उनके पार्षद सुरक्षित रह सकें।
पार्षदों की बाड़ाबंदी का ट्रेंड इस बार पंचायत तक दिखा
इस बार पंचायत चुनाव के बाद अब नगर निगम परिषद के चुनाव में भी बाड़ाबंदी का गजब ट्रेंड देखने को मिल रहा है। परिषद में बहुमत होने के बाद भी क्रॉस वोटिंग के डर से पहले भाजपा अपने पार्षदों को बस में भरकर दिल्ली ले गई है । उसके बाद कांग्रेस ने भी आनन-फानन में अपने सभी पार्षदों को एक होटल में एकत्रित किया वहां से धार्मिक यात्रा के नाम पर कांग्रेस के सभी पार्षद रवाना हुए। इसमें तीन निर्दलीय और एक बसपा का भी पार्षद शामिल है। कांग्रेस का दावा है कि उनके पास 29 लोगों का समर्थन है जिसमें 25 कांग्रेस के शामिल है। इसके अलावा तीन निर्दलीय एक बीएसपी का उन्हें समर्थन है।
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