ग्वालियर से अनाथ बच्चों को गोद लेने मप्र के जिलों से ज्यादा मुंबई, पुणे, चेन्नई, बेंगलुरु के दंपती अधिक संख्या में आए। यूरोप के एक दंपती ने भी ग्वालियर से एक बच्ची को गोद लिया है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर का एक दंपती भी ग्वालियर से बच्चे को गोद ले चुका है।
महिला बाल विकास विभाग की निगरानी में दो संस्थाएं मातृछाया और बालाजी अनाथ बच्चों को रखने और गोद देने के लिए अधिकृत हैं। पिछले तीन साल में दोनों संस्थाओं से कुल 45 बच्चे गोद दिए गए हैं। इनमें 27 बच्चियां शामिल हैं। गोद लिए गए बच्चे 0 से 5 वर्ष तक के हैं।
इन दो केसों से समझें किस हालत में मिले बच्चे, और अब कैसे हैं।
केस 1- कुछ साल पहले ग्वालियर में एक दो दिन की बच्ची ऑटो ड्राइवर को सुनसान इलाके में मिली थी। उसको शिशु गृह में दिया गया। अब यह बच्ची दक्षिण भारत के एक प्रतिष्ठित परिवार में रह रही है।
केस 2 - जयारोग्य अस्पताल परिसर की झाड़ियों में नवजात बच्ची कर्मचारियों को मिली थी। बच्ची का यहां एक माह इलाज चला। फिर उसे शिशु गृह में लाया गया। उसे मुंबई के एक डॉक्टर दंपत्ति ने गोद लिया है।
कॉर्पोरेट सेक्टर से हैं गोद लेने वाले अधिकतर दंपती-
ग्वालियर आकर बच्चों को गोद लेने वाले अधिकतर दंपती का प्रोफेशन कॉर्पोरेट सेक्टर से संबद्ध रहा है। मुंबई, पुणे, बेंगलुरु के यह दंपती आईटी, मैनेजमेंट कंपनियों में कार्यरत हैं।
अधिकांश दंपती बेटी गोद ले रहे
हम कोशिश कर रहे हैं कि अनाथ बच्चों को सही परिवार मिले। यह बेहद सुखद स्थिति है कि लोगाें का रुझान अब बेटियों को गोद लेने में बढ़ रहा है। हमारे पास जो भी दंपती संपर्क करते हैं, वे पहले बेटियों को ही गोद लेने की बात करते हैं।
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