मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि, देवपितृकार्ये शनैश्चरी अमावस्या होगी. इस बार देवपितृकार्ये शनैश्चरी अमावस्या शनिवार 4 दिसंबर को पड़ रही है. शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि को शनैश्चरी अमावस्या या शनि अमावस्या कहते हैं. अमावस तिथि का आरंभ 3, दिसंबर शुक्रवार को दोपहर 04:56 बजे से लेकर 4 दिसम्बर दोपहर 01:13 बजे तक रहेगा।इस दिन गोचर में सूर्य,चंद्र,बुध एवं केतु का मंगल की राशि वृश्चिक राशि मे चतुर्ग्रही योग बनेगा। मार्गशीर्ष (अगहन) अमावस शनिवार को होने के कारण ये अमावस शनिचरी अमावस के रूप में मनाई जाएगी।
ग्वालियर के पास ऐंती पर्वत स्थित शनि मंदिर पर शनिश्चरी अमावस्या पर लगेगा मेला
विश्व का इकलौता मंदिर मुरैना के रिठौरा थाना क्षेत्र के ग्राम ऐती के पास पर्वत पर स्थित है, जिसे लोग शनिचरा के नाम से भी जानते है। शनिश्चरी अमावस्या के दिन लाखों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से शनिदेव के दर्शन के लिए आते हैं। इस बार शनि अमावस्या पर शनिवार, विशाल मेला लगेगा। सन 1808 ई. में तात्कालीन शासक दौलतराव सिंधिया द्वारा यहां जागीर लगाई गई थी। यह देश का सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन शनिमंदिर तो है ही, साथ ही यहां स्थापित शनिदेव की प्रतिमा भी विशेष अदभुत है। ज्योतिषियों के मतानुसार यह प्रतिमा का निर्माण आसमान से गिरे उल्कापिंड से हुई है।
बहोड़ापुर नवग्रह मंदिर पर शनि अमावस पर होती है पूजा
ग्वालियर के प्राचीन नवग्रह मंदिर बहोड़ापुर पर होती है शनि पूजा। शहर के श्रद्धालु शनि अमावस पर शनि पूजा के लिए पहुचते है। इस शनिचरी अमावस पर शनि की पूजा करने से कालसर्प दोष, पितृ दोष व शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। अमावस्या का व्रत रखने से समस्याओं का अंत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। विष्णु पुराण के अनुसार जो भी जातक श्रद्धा भाव से अगहन अमावस्या का व्रत रखता है उसके पितृगण ही तृप्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न हो कर आशीर्वाद देते हैं। जिस किसी भी जातक की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान हीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन जातक को इस दिन उपवास अवश्य रखना चाहिए। इस दिन के उपवास को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
शनि अमावस्या के दिन क्या-क्या करें
असाध्य व्यक्ति को काला छाता, चमड़े के जूते-चप्पल पहनाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.
शनि देव को उड़द की दाल से बने बूंदी के लड्डू बहुत प्रिय हैं. अत: शनिवार को लड्डू का भोग लगाकर बांटना चाहिए.
शनिवार को तेल से मालिश कर नहाना चाहिए.
लोहे की कोई वस्तु शनि मंदिर में दान करनी चाहिए. वह वस्तु ऐसी हो जो मंदिर के किसी काम आ सके.
शनि मंदिर में बैठकर ॐ प्रां प्रीं प्रों शनैश्चराय नमः या ओम श्री शनि देवाय नमः या ओम श्री शनैश्चराय नमः का जाप करना चाहिए.
शनि से उत्पन्न भीषण समस्या के लिए भगवान भोलेनाथ और हनुमान जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए. शनि चालीसा, शिव चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान बाहुक व हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
शनि देव से संबंधित कथाएं पढ़ें.
नीलम रत्न के साथ पन्ना रत्न भी धारण करें.
मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं.
शनि अमावस्या वाले दिन व हर शनिवार और मंगलवार को काले कुत्ते को मीठा पराठा खिलाएं.
कपूर को नारियल के तेल में डालकर सिर में लगाएं, भोजन में उड़द की दाल का अत्यधिक सेवन करें, झूठ, कपट, मक्कारी धोखे से बचें, रहने के स्थान पर अंधेरा, सूनापन व खंडहर की स्थति न होने दें.
शनि मंदिर में जाकर कम से कम परिक्रमा व दंडवत प्रणाम करें.
16 शनिवार सूर्यास्त के समय एक पानी वाला नारियल, थोड़े बादाम, कुछ दक्षिणा शनि मंदिर में चढाएं.
शनि मंदिर से शनि रक्षा कवच या काला धागा हाथ में बांधने के लिए अवश्य लें.
शनि की शुभ फल प्राप्ति के लिए दक्षिण दिशा में सिराहना कर सोएं और पश्चिम दिशा में मुख कर सारे कार्य करें. इसके साथ ही अपने देवालय में शनि का आसन अवश्य बनाएं.
प्रत्येक शुभ कार्य में पूर्व कार्य बाधा निवारण के लिए प्रार्थना करके हनुमान व शनि देव के नाम का नारियल फोड़ें.
प्रत्येक शनिवार को रात्रि में सोते समय आंखों में काजल या सुरमा लगाएं व शनिवार का काले कपड़े अवश्य पहनें.
महिलाओं से अपने भाग्य उदय के लिए सहयोग, समर्थन व मार्गदर्शन प्राप्त करें तो प्रगति होगी.
अपनों से बड़े उम्र वाले व्यक्ति का सहयोग प्राप्त करें और अपनी से छोटी जाति व निर्बल व्यक्ति की मदद करें.
प्रति माह की अमावस्या आने से पूर्व अपने घर-दुकान की सफाई अवश्य करें और तेल का दीपक जलाएं.
शनि अमावस्या, शनि जयंती या शनिवार को बन पड़े तो शनि मंदिर में नंगे पैर जाकर पूजा करें.
घर बनाते समय काली टायल, काला मार्बल या काले रंग की कुछ वस्तु प्रयोग में लाएं.
खाली पेट नाश्ते से पूर्व काली मिर्च चबाकर गुड़ या बताशे से खाएं.
भोजन करते समय नमक कम होने पर काला नमक तथा मिर्च कम होने पर काली मिर्च का प्रयोग करें.
प्रत्येक शनिवार को सोते समय शरीर व नाखूनों पर तेल मसलें.
शनि अमावस्या के दिन मांस, मछली, मद्य तथा नशीली चीजों का सेवन बिलकुल न करें.
ज्योतिष पंडितों की मानें तो शनि अमावस्या के दिन घर के मुख्य द्वार पर घोड़े की नाल लगाएं। अगर आप कारोबार से जुड़े हैं तो दुकान पर भी घोड़े की नाल लगा सकते हैं। इससे कारोबार में तरक्की और उन्नति होती है।
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