ग्वालियर। भाई-बहन के पवित्र पर्व रक्षाबंधन के लिए शहर के बाजार सज चुके हैं। दो साल बाद राखी के त्योहार को लेकर खासा उत्साह भी नजर आ रहा है। सप्ताहभर में राखी की बिक्री में अच्छा खासा उछाल देखा जा रहा है। इस साल महाकाल, शिवलिंग बनी और गणेश प्रतिमाओं वाली राखी की खासी मांग है। थोक बाजारों से राखी की ये डिजाइनें मुश्किल से मिल रही है ।
थोक कारोबारियों के अनुसार राखी का बाजार साल का बड़ा बाजार है। खेरिज बाजार के आधार पर आंकलन किया जाए तो आंकड़ा दो गुना से ज्यादा हो जाता है। प्रदेश के अन्य शहरों-कस्बों के रिटेल कारोबारी भी राखी खरीदने यहाँ पहुंचते हैं। थोक राखी विक्रेता मन्नू भाई के अनुसार राखी में पैटर्न और डिजाइन के अनुसार अलग-अलग शहरों से माल ग्वालियर पहुंचता है। जरी और कलात्मक डिजाइन वाली राखियां कोलकाता से आती है। मोती, नग और सुनहरी धातु के काम वाली राखियां राजकोट गुजरात से आती है। साथ ही सूरत से सिल्वर और नग-जरदोसी वाली राखियां मंगवाई जाती है।
दिल्ली से खिलौनों और बच्चों के लिए बनने वाली राखियां आती है। दो साल पूरे देश और प्रदेश में राखी का त्योहार तो मना लेकिन त्योहार में उत्साह कमजोर था। बीते साल से तुलना की जाए तो इस साल राखी की बिक्री और उत्साह दोगुना नजर आ रहा है। थोक दुकानों पर डिजाइनें खत्म हो चुकी है। खेरची ग्राहकी भी जुलाई के अंत: से ही शुरू हो चुकी है। थोक बाजार में एक रुपये से लेकर 200 रुपये तक की राखियां उपलब्ध है। चांदी की राखियां एक हजार रुपये तक भी बिक रही है।खेरची बाजार में राखियों के दाम 5 रुपये से 500 रुपये तक है। जबकि चांदी व सोने की राखियां इससे कहीं ज्यादा महंगी बिक रही है।
बाजार में इस साल सबसे ज्यादा महाकाल और शिवलिंग वाली राखियों की नजर आ रही है। थोक कारोबारी के अनुसार इस साल महाकाल की प्रतिकृति जैसे शिवलिंग वाली राखियां और अष्टविनायक और गणपति मूर्ति वाली राखियां आई है। थोक बाजार इन डिजाइनों को हाथों-हाथ लिया गया। नग और अमेरिकन डायमंड वाली राखियां भी लोग पसंद कर रहे हैं। आर्डर पर खास नाम लिखी ऐसी राखियां भी बनाई जा रही है। बच्चों में टेडी बियर, कार्टून कैरेक्टर और लाइट वाली राखियां का चलन ज्यादा है।
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