ग्वालियर। जीएसटी को लागू हुए पांच वर्ष हो चुके हैं और अभी तक इसमें हजारों संशोधन हो चुके हैं।फिर भी इसके सरलीकरण के लिए सुझाव मंगाए जा रहे हैं। इससे प्रदर्शित होता है कि जीएसटी में कई खामियां आज भी मौजूद हैं। सरकार ने जीएसटी को पोर्टल बेस बना दिया है। आज जीएसटी रजिस्ट्रेशन में कई दस्तावेज मांगे जा रहे हैं और एक बार यदि आपका रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो गया तो बहुत परेशानी आती है क्योंकि स्थानीय स्तर पर इसमें अधिकारी कुछ नहीं कर पाते हैं। जीएसटी की दरें भी रेशनलाइज की जाना चाहिए, क्योंकि जीएसटी की दरें भी काफी अधिक हैं। यह बात जीएसटी विशेषज्ञ सीए दीपक वाजपेयी ने कही। वे यहां मप्र चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से चैंबर भवन में जीएसटी में आने वाली कठिनाईयों को संकलित कर उनके सरलीकरण के सुझाव का मांग पत्र तैयार करने के लिए बुलाई गई बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक का संचालन कर रहे चैंबर के मानसेवी सचिव डॉ.प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी के प्रावधानों के सरलीकरण की मांग चैंबर सहित देश के विभिन्न व्यापारिक संगठनों की ओर से लगातार की जा रही है। बैठक का संचालन कर मानसेवी सचिव डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने बताया कि जीएसटी के प्रावधानों के सरलीकरण की मांग लगातार म.प्र. चेम्बर ऑफ इण्डस्ट्री, ग्वालियर सहित भारतवर्ष के विभिन्न व्यापारिक संगठनों द्बारा की जाती रही है क्योंकि जीएसटी के प्रावधान बहुत जटिल हैं और इससे व्यापारी जकड़ा हुआ महसूस करता है। इसके प्रावधानों में अनजाने में हुई गलती का खामियाजा भी व्यापारी को बहुत बड़ा भुगतना पड़ता है। ई-वे बिल में दिये गये समय में गंतव्य स्थान पर शासन-प्रशासन के कारण हुई देरी पर भी व्यापारी पर ही जुर्माना लगाया जाता है। सरकार द्बारा व्यापारिक संगठनों से सरलीकरण पर सुझाव आमंत्रित किये गये हैं, उसी तारतम्य में आज की बैठक आहूत की गई है। इन सुझावों को हमें शीघ्र ही भारत सरकार तक पहुंचाना है और आज की बैठक में आये सुझावों को हम शीघ्र ही संभवत: कल ही भेजेंगे। बैठक में महेश मुद्गल, पंकज गोयल, संजय धवन, मोहन गर्ग, दीपक सेठ, मनीष मोटवानी, नवीन तनेजा, आशीष अग्रवाल, आशीष जादौन, अमित तिवारी, अंकुर, संजय अग्रवाल आदि मौजूद थे।
व्यापारियों ने ये दिए सुझाव
- एमएसएमइ की ओर से बनाए ऐसे उत्पाद जिनका उपयोग गरीब उपभोक्ता करते हैं, उन्हें जीएसटी से मुक्त रखा जाना चाहिए। जैसे नॉन ब्राण्डेड आटा जो छोटी-छोटी इकाईयां बनाती हैं।
- माल के क्रेता की ओर से जीएसटी चुका दिया गया है परंतु विक्रेता के पोर्टल में नहीं दर्शाने से क्रेता को जीएसटी का इनपुट नहीं मिल पाता, वहीं टैक्स भी दोबारा क्रेता से ही मांगा जाता है, इसमें सुधार किया जाना चाहिए।
- आरसीएम को वापिस लिया जाना चाहिए, जीएसटीआर-2 को लागू किया जाना चाहिए।
- एमएसएमइ को इ-इनवॉइस से छूट मिलना चाहिए।
- कम्पोजिशन की लिमिट को डेढ़ करोड़ से बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक व्यापारी इसका लाभ ले सकें और सरकार का भी राजस्व बढ़ सके।
- जीएसटीआर-1 फाइल करने की तारीख 11 से बढ़ाकर 20 की जाना चाहिए।
- जीएसटी हेल्प डेस्क प्रारंभ की जाना चाहिए। जीएसटी के मामलों के निराकरण के लिए ट्रिब्यूनल का गठन होना चाहिए।
- इ-वे बिल में दिये गये समय में गंतव्य स्थान पर शासन-प्रशासन के कारण हुई देरी पर भी व्यापारी पर ही जुर्माना लगाया जाता है। इसमें सुधार हो।
If you have any objection regarding any news then you may please contact at gwaliorbreaking@gmail.com or +91-6262626200.
Copyright © 2020-21, All Rights Reserved